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“सबसे सस्ता गोश्त नुक्कड़ नाटक के सन्दर्भ में गो-प्रेम और साम्प्रदायिकता”
सैयद दाऊद रिज़वी
Designation : शोधार्थी द्वितीय सत्र (हिंदी विभाग), अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, हैदराबाद
Journal Name : Reserach maGma
Abstract :
जर्मनी के महान विचारक और लेखक योहान वुल्फगांग फान गेटे (Johann Wolfgang von Goethe) ने साहित्य को परिभाषित करते हुए कहा है कि- “साहित्य का पतन राष्ट्र के पतन का द्योतक है। पतन की ओर वे परस्पर साथ देते हैं।“ तो वही दूसरी ओर हिंदी साहित्य के महान कथाकार और उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद साहित्य की परिभाषा देते हुए कहते है- “जिस साहित्य में हमारी रुचि न जागे, आध्यात्मिक और मानसिक तृप्ति न मिले, हम में गति और शांति पैदा न हो, हमारा सौन्दर्य प्रेम न जागृ्त हो, जो हममें सच्चा संकल्प और कठिनाइयों पर विजय पाने की सच्ची दृढ़ता उत्पन्न न करे, वह आज हमारे लिए बेकार है। वह साहित्य कहलाने का अधिकारी नहीं।“
Keywords :
सबसे सस्ता गोश्त, नुक्कड़ नाटक, गो-प्रेम और साम्प्रदायिकता
Reference :
1. सबसे सस्ता गोश्त- अस्गाएर वजाहत 2. गाँधी की हत्या दूसरी बार- प्रो.रिचर्ड बोन्नी, राम पुनियानी डॉ राजन नत्रजन पिल्लै (अनुवाद) साहित्य उपक्रम, दिल्ली प्र.सं- जनवरी २००८ 3. साम्प्रदायिकता- सुभाष चन्द्र साहित्य उपक्रम, दिल्ली प्र.सं- जनवरी २००६ 4. साम्प्रदायिकता- राम पुनियानी एवं शरद शर्मा वाणी प्रकाशन, दिल्ली