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समकालीन हिन्दी भाषा का सच
डाॅ0 रागिनी राय
Designation : विभागाध्यक्ष-हिन्दी अखिलभाग्य स्नातकोत्तर महाविद्यालय रानापार, गोरखपुर।
Journal Name : Reserach maGma
Abstract :
हमारी अपनी भाषा अनुभव स्मृति व विचार का अमूर्त नर्तन होती है अपनी राष्ट्रभाषा अपना गौरव होती है अपने राष्ट्र का अभिमान होती है एवं देष को एकता के सूत्र में पिरोती है। वर्तमान परिदृष्य में अपनी राष्ट्रभाषा अंग्रेजी के बढ़ते वर्चस्व के कारण उपेक्षित एवं अपमानित है। हमारे देष के निवासी इस विदेषी भाषा के प्रयोग को गर्व की वस्तु मानते है। अंग्रेजी षिक्षित अपने को विषिष्ट अभिजात्य समझते हैं। भाषाई हीनता का ऐसा उदाहरण अन्यत्र दुर्लभ है।1 हिन्दी प्रेम व स्वाधीनता की भाषा है। कोई भी भाषा जड़ या स्थिर नहीं होती, परिवर्तन हर भाषा में होता है। भाषा अर्जित की जाती है और वह अपने आप में एक सम्पदा है।
Keywords :
समकालीन हिन्दी, भाषा का सच
Reference :
1. दैनिक जागरण (संगिनी) पेज नं0-2 14 सितम्बर, 2013 2. दैनिक जागरण (संगिनी) पेज नं0-3 14 सितम्बर, 2013 3. दैनिक जागरण पेज नं0-2 4. वही 5. राष्ट्रीय सहारा 7 सितम्बर, 2017 पेज नं0-13